भारतीय सेना ने सदैव मानव अधिकारों की रक्षा की : अरुण मिश्रा

ग्वालियर। नागरिक परिषद ग्वालियर एवं एमिटी विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में एमिटी विश्वविद्यालय में विजय दिवस का भव्य आयोजन किया गया। यह आयोजन भारत की पाकिस्तान पर 1971 की ऐतिहासिक विजय की स्मृति में किया गया। कार्यक्रम की शोभा बढ़ाते हुए बीएसएफ के बैंड दल ने देशभक्ति से ओत-प्रोत मनमोहक धुनें प्रस्तुत कीं, जिससे पूरा परिसर राष्ट्रप्रेम के रंग में सराबोर नजर आया। कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत द्वीप प्रज्जवलन के एवं अतिथियों के सम्मान के साथ हुई।     
प्रेरणादायक सानिध्य के रूप में सेवानिवृत्त एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने भारतीय वायुसेना ने 1971 के युद्ध में भारतीय वायुसेना की निर्णायक भूमिका को स्मरण करते हुए कहा- कि इस तरह के कार्यक्रम सैनिकों का बलिदान आने वाली पीढिय़ों के लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगा। 1971 की ऐतिहासिक जीत स्वर्णिम अक्षरों में लिखने लायक है। इस युद्ध के पीछे हमारी सेना की रणनीति की एक गौरव गाथा है। जिसे आने वाली पीढ़ी को अनुशरण करना चाहिए कि तीनों सेना के सहयोग और समर्पण का अनूठा संगम इस युद्ध में देखने को मिला।
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एवं पूर्व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष अरुण मिश्रा ने कहा कि नागरिक परिषद ग्वालियर द्वारा शहीदों के शौर्य और बलिदान को याद करते हुए उनकी पत्नियों को सम्मानित करना सराहनीय है । हमारे देश की सेना का शौर्य पूरे विश्व में अतुलनीय है। भारत देश में मानवाधिकारों की परंपरा पुरातन काल से चली आ रही है। भारतीय सेना ने सदैव मानव अधिकारों की रक्षा की है। उन्होंने कहा कि भारत ने पूरे विश्व को ज्ञान रूपी प्रकाश दिया है। हमारे शास्त्रों में सभी धर्मों का कल्याण वर्णित है।
ऋग्वेद में कहा है धर्मो रक्षति रक्षिता। हमारा धर्म मानवीय मूल्यों और मानव अधिकारों की रक्षा है। हमने अपने प्राणों की बाजी लगाकर भी शरणागत को आश्रय दिया है। प्रत्येक देश को मानवाधिकारों का पालन करना चाहिए। भारतीय सशस्त्र बलों का साहस, अनुशासन और राष्ट्र के प्रति समर्पण देश की सबसे बड़ी ताकत है। 
एमिटी विश्वविद्यालय के प्रो-चांसलर एवं सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल वीके शर्मा ने कहा कि हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह देश की सेनाओं का मनोबल बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि ये देश सभी का है इसलिए हमें राष्ट्र की संपत्ति का संरक्षण करना चाहिए। भारतीय सेनाएं कभी भी मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं करती। एमिटी यूनिवर्सिटी के प्रो वाइस चांसलर डॉ. एमपी कौशिक भी मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ.राजेन्द्र सिंह एवं आभार एमिटी विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. आरएस तोमर एवं पारस जैन ने व्यक्त किया। 

इनका हुआ सम्मान
इस मौके पर देश की रक्षा करते हुए बलिदान हुए जवानों की पत्न्यिों को अतिथियों ने सम्मानित किया । 1962 में भारत-चीन युद्ध में बलिदान हुए जगन्नाथ सिंह की पत्नी सीता बाई, गिरिजा कुशवाह पति शहीद मनोज सिंह, 26 सितंबर 2002 में ऑपरेशन पराक्रम, सज्जन देवी पति बिंद्रा पाल भारत पाक युद्ध 1971, नीलम शर्मा पति महादेव शर्मा 27 अप्रैल 1990 ऑपरेशन मेघदूत, गुड्डीबाई पति पुलेंद्र सिंह 1994 ऑपरेशन रक्षक जम्मू कश्मीर, सरोज सेंगर पत्नी शहीद सरमन सिंह कारगिल युद्ध, रिंकू भारतीय पत्नी सुभाष चंद्र, सरोजनी देवी पत्नी आरबीएस भदौरिया  को सम्मानित किया गया।

शस्त्र प्रदर्शनी का सैकड़ों  लोगों ने किया अवलोकन
इस अवसर पर शस्त्र प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें रॉकेट लॉन्चर, गलीच स्नाइपर, मनेगन एलएनजी, सेमी स्नाइपर, नाइट साइट दूरबीन, ग्रेनेड टबोर, टबोर, कमांडर टबोर, एयर क्राफ्ट गन, मिका मिसाइल आदि हथिायर प्रदर्शित किए गए। जिसका विद्यार्थियों सहित सैकड़ों लोगों ने अवलोकन किया।

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