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Sandhyadesh

ताका-झांकी

जुबान पर आ ही गई इमरती की पीडा

09-Jan-22 1942
Sandhyadesh

अपनी साहिबा इमरती देवी की पीडा है कि उन्होने पार्टी बदल ली इसलिये हार गई। यानि इमरती कांग्रेस से भाजपा में नहीं आती तो कभी नहीं हारती। उन्हें आज भी भाजपा से ज्यादा कांग्रेस पर ही जीत का भरोसा है।
इमरती की पीडा बीते दिवस डबरा में एक स्वागत समारोह में जुबान पर आ ही गई जब निगम का अध्यक्ष बनने व कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलने पर उनका स्वागत हो रहा था। इमरती जी की पीडा को सुनकर लोग हंस पडे, इमरती भी स्वयं हंस पडी । अब इमरती जी को भूली बिसरी बातें भूलकर अपनी नई पारी खेलने में लगना चाहिये। 2022 लग चुका है और 2023 में चुनाव भी है।
यदि इमरती जी को संदेह है तो भाजपाईयों को लग रही है कि कहीं वह वापस तो नहीं जा रहीं..?

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