पाप को नष्ट करने व पुण्य अर्जित करने मिला जीवनः राघव ऋषि

ग्वालियर। पूर्व जन्म से पुण्य और पाप जब समान हो जाते हैं, तो मनुष्य का जन्म मिलता है। ये पाप को बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि पूर्व जन्म के संचित पाप एवं इस जन्म के पापों को नष्ट करने के लिए मिला है। यह विचार राघव ऋषि ने शनिवार को माधव मंगलम गार्डन नदीगेट पर ऋषि सेवा समिति द्वारा आयोजित हो रही श्रीमद भागवत कथा में दूसरे दिन व्यक्त किये।
राघव ऋषि ने कहा कि श्रीमद भागवत कथा संपूर्ण तीर्थों के स्नान के समान हैं। कथा में संसार के चिंतन छोड़कर जब भगवत चिंतन करें। हम शरीर को सुदंर बनाने के लिए वस्त्राभूषण की तो चिंता करते हैं, लेकिन जीवन को सुंदर बनाने के लिए भजन की चिंता नहीं करते हैं। जिसका मन विषयों में फंसा है, वो संसार रूपी बंधन से मुक्त नहीं हो सकता है। माया जीव को चंचल बनाती है। राघव ऋषि ने कहा कि जो आंख और कान को पवित्र रखता है, उनके ह्दय में भगवान का वास हो जाता है और पाप भी इन्हीं रास्तों से प्रवेश करता है, इसलिए आंख और का कान की पवित्रता बनाए रखिए। उन्होंने कहा कि जो अंतिम समय तक भगवान का सुमिरन करता है, भगवान स्वयं आकर उसे अपने में विलीन कर लेते हैं। उन्होंने बताया कि अनीति का धन कमाने वाला एवं उसका उपयोग करने वाला दोनों ही दुखी रहते हैं। इस दौरान शिवशंकर अविनाशी भजन पर महिलाओं ने डांडिया नृत्य किया वहीं श्रद्धालु झूमकर नाचे। इस मौके पर कथा झांकी, पोथी एवं व्यासपीठ का पूजन मुख्य यजमान मधु गोयल विनोद गोयल ने किया। समिति के आनन्द मोहन अग्रवाल, संतोष अग्रवाल, प्रमोद गर्ग, संजय शर्मा, अम्बरीष गुप्ता, उमेश उप्पल, मनोज अग्रवाल, देवेंद्र तिवारी, हरिओम मिश्रा, रामसिंह तोमर, रामप्रसाद शाक्य, बद्रीप्रसाद गुप्ता, उदय प्रकाश चितौड़िया, अमित शिवहरे, विष्णु पहारिया, मनीष अग्रवाल, अनिल पुनियानी ने आरती की।

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