शिक्षक और छात्र के बीच में परस्पर संपर्क होना चाहिए: स्वामी सुप्रदीप्तानंद महाराज

ग्वालियर। रविवार को जेयू में गुरुपूर्णिमा पर दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर स्वामी सुप्रदीप्तानंद जी महाराज, कुलगुरु प्रो.अविनाश तिवारी एवं कुलसचिव अरूण सिंह चौहान द्वारा माल्यार्पण व द्वीप प्रज्जवलन कर किया गया।तत्पश्चात विवि की छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।स्वागत श्रृंखला में स्वामी सुप्रदीप्तानंद जी महाराज,कुलगुरु प्रो.अविनाश तिवारी,कुलसचिव अरूण सिंह चौहान व सेवानिवृत्त प्रो. डीसी तिवारी, प्रो.एसके गुप्ता, प्रो.अशोक जैन,प्रो.कॉल, प्रो. एके सिंह को शॉल एवं श्रीफल से सम्मानित किया गया।कार्यक्रम के दौरान छात्रों द्वारा गुरूजनों को तिलक लगाकर सम्मानित किया गया।विवि के वरिष्ठ प्राध्यापक एवं गुरुपूर्णिमा कार्यक्रम संयोजक प्रो.जेएन गौतम ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय का परिचय एवं विजन पर प्रकाश डाला।इस मौके पर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित स्वामी सुप्रदीप्तानंद जी महाराज ने कहा कि व्यक्ति के विकास में गुरु का महत्वपूर्ण योगदान होता है। आज की युवा पीढ़ी गुरू की महिमा से अनभिज्ञ है। वह आभासी दुनिया में जीवन व्यतीत कर रही है उसका वास्तवितक जीवन से कोई लेना-देना नहीं है।उन्होंने कहा कि छात्रों को धारण करने की क्षमता विकसित करना चाहिए। शिक्षक और छात्र के बीच में परस्पर संपर्क होना चाहिए। गुरू के प्रति सम्मान व श्रद्धा की भावना होना चाहिए। छात्रों को श्रद्धा भाव के साथ ज्ञान अर्जित करना चाहिए।कार्यक्रम के दौरान स्वामी जी को स्मृति चिन्ह् भेंट कर सम्मानित किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलगुरु प्रो.अविनाश तिवारी ने गुरूपूर्णिमा की बधाई देते हुए कहा कि व्यक्ति के जीवन में गुरू का विशेष महत्त्व होता है। उन्होंने गुरु की विशेषताओं को रेखांकित करते हुए बताया कि गुरू में तीन द का महत्व बहुत आवश्यक है। तीन द का अर्थ होता है- दया, दान और दमन।जिस गुरू में उर्पयुक्त तीनों गुण विद्यमान हों, उसे सर्वश्रेष्ठ गुरु की संज्ञा दी जाती है।उन्होंने कहा कि जब तक छात्र शिष्य नहीं होगा तब तक गुरु का एहसास नहीं होगा।सेवानिवृत्त प्रो. अशोक जैन ने कहा कि गुरूपूर्णिमा की परंपरा केवल भारत में है। गुरूओं के मार्गदर्शन से छात्र अपना मार्ग प्रशस्त करें।प्रो.डीसी तिवारी ने मोबाइल के उपयोग पर विचार व्यक्त किए। प्रो.कॉल ने गूगल की जगह किताबों से पढ़ने की सलाह दी।प्रो. एके श्रीवास्तव ने छात्रों को नियमित कक्षा में आने की सलाह दी। प्रो. एसके गुप्ता ने गुरु के अच्छे गुणों को ग्रहण करने की सलाह दी। प्रो. एमके गुप्ता ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली में नैतिक शिक्षा की भूमिका को उल्लेखित किया।प्रो. आईके पात्रो ने गुरू शिष्य परंपरा विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।प्रो.जेएन गौतम ने गुरुपूर्णिमा का महत्व,ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूति पर वक्तव्य दिया।इस अवसर पर अमित कुमार, विवेक, नम्रता मिश्रा,वंदना, रजनी, श्वेता भारद्वाज द्वारा भाषण प्रस्तुत किया गया।उच्च शिक्षा विभाग,म.प्र. शासन द्वारा गुरुपूर्णिमा पर विशेष कार्यकम देवी अहल्यिा विश्वविद्यालय इंदौर में आयोजित किया गया जिसका सीधा प्रसारण विश्वविद्यालय के सभागार में किया गया।इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में म.प्र. के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव एवं म.प्र. के अनेक विश्वविद्यालयों के कुलगुरूओं की गरिमामयी उपस्थिति रही।साक्षी राठौर ने कार्यक्रम का संचालन व प्रो.जेएन गौतम ने आभार व्यक्त किया।आदर्श व वकार ने तकनीकी सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम के सफल आयोजन में अनामिका भदौरिया, अपेक्षा श्रीवास्तव,खुशबू राहत, शकील,महेंद्र शर्मा,संजय जादौन का सराहनीय योगदान रहा।इस अवसर पर विवि के कुलगुरु प्रो. अविनाश तिवारी, रामकृष्ण मिशन आश्रम के प्राचार्य स्वामी सुप्रदीप्तानंद महाराज, कुलसचिव अरूण सिंह चौहान, प्रो.जेएन गौतम, प्रो.डीसी तिवारी, प्रो. एसके गुप्ता, प्रो.कॉल, प्रो. अशोक जैन, प्रो.एके सिंह,प्रो.एमके गुप्ता, प्रो.विवेक बापट, प्रो.डीसी गुप्ता, प्रो.मुकुल तेलंग,प्रो.आईके पात्रो, प्रो.हेमंत शर्मा, प्रो.एसके सिंह, डॉ.सपन पटेल,डॉ.हरिशंकर कंषाना,डॉ.विमलेन्द्र सिंह राठौर सहित समस्त अतिथि विद्वान, अधिकारी, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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