जौरासी के कणकण में हनुमान बसे लेकिन अब वैभव देने वाली लक्ष्मी विराजमान, कोई कमी नहीं होगीः स्वामी अवधेशानांद


ग्वालियर। जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर पूज्यपाद स्वामी श्री अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने गुरूवार को जौरासी श्री हनुमान मंदिर परिसर में श्री मां सम्पूर्णा अष्ट महालक्ष्मी मंदिर की प्रतिष्ठा व लोकार्पण के अवसर पर मुख्य अतिथि की आसंदी से श्रद्धालुओं को आर्शीवचन देते हुये कहा कि जौरासी की तपोभूमि के कणकण में श्री हनुमान बसे है। लेकिन अब मां लक्ष्मी जी विराजमान हो चुकी है तो अब कोई कमी नहीं आयेगी। मां लक्ष्मी वैभव देने वाली है। उन्होंने ट्रस्ट पदाधिकारियों से कहा कि अभी विकास के पग थमेंगे नहीं ऐसा मुझे विश्वास है। अच्छे लोग ट्रस्ट में शामिल है इसीलिये सेवा के रूप में महाविघालय, अस्पताल आदि भी शुरू हो सकते है।
महामण्डलेश्वर स्वमी अवधेशानंद गिरी महाराज ने गुरूवार को सबसे पहले श्री हनुमान जी की पूजा अर्चना कर 15 करोड़ रूपये की लागत से निर्मित श्री मां सम्पूर्णा अष्टमहालक्ष्मी प्रतिमा का लोकार्पण किया। इस अवसर पर सामूहिक रूप से मां लक्ष्मी की आरती उतारी और वैदिक मंत्रों के साथ पूजा अर्चना कर भक्तों को संबोधित किया। उन्होंने गुरूवार की दोपहर बेला का वर्णन करते हुये कहा कि यह सर्वसिधि का समय है, अंचल की दिव्य विभूतियां यहां विराजमान है। ग्रह विग्रह की स्थापना में मां लक्ष्मी जी भी विराजमान हो गई है। इससे अब यहां कोई कमी नहीं आयेगी। उन्होंने जौरासी को चैरासी नाम का बखान करते हुये कहा कि यह अपथ्रंस भी हो सकता है, क्योंकि 84 अंक का भी बड़ा महत्व है। 84 प्रकार की ध्वनि होती है। 84 योनी होती है और 84 प्रकार के सिद्ध होते है और तो और हिमालय में 84 गुफा है। इसीलिये हर अंक का विशेष महत्व है। कण कण में भगवान है। सभी दिशाओं में ब्रहम विघमान है और ब्रहम ही भगवान है। रूप अनेक है, नाम भी अनेक है लेकिन सब एक ही माया है। उन्होंने मिटटी का उदाहरण देते हुये कहा कि मटका, सुराह कलश सबके नाम अलग अलग तो रूप भी अनेक। लेकिन सभी एक ही मिटटी के बने पात्र है। हालांकि दीपक व सुराही की तरह काम व गुण भी अलग अलग हो सकते है। पंचतत्वों में भी ऐसा ही है। वह सब एक है। इसके साथ ही उन्होंने श्रीमद भागवत गीता के 15वें अध्याय के पहले श्लोक का उदाहरण देते हुये कहा कि वृक्ष की जड़े जमीन पर रहती, लेकिन हमारी जड़े आसमान में है। यदि आप वंश वृक्ष बनाये तो पूर्वज सबसे उपर और उपर आयेगा।
कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि हमें मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हुई है। यह अंचल का बहुत बड़ा मंदिर स्थापित हुआ है। इससे अब समृद्धि के विकास द्वार खुल जायेंगे। श्री सिंधिया ने आसपास के मंदिरों के नाम लेते हुये कहा कि मुरैना में शनि मंदिर किले पर दक्षिण भारत की नक्काशी का देवी मंदिर स्थापित है। इसी तरह ग्वालियर में सूर्य मंदिर, सातउ शीतला मंदिर, दतिया पीताम्बरा पीठ, कोटेश्वर, मांढरे की माता, गोरखी माता आदि मंदिर हैं। लेकिन अब जौरासी में मां लक्ष्मी के मंदिर से यह स्थान और अलौकिक हो जायेगा। यह धरती धन्य हो गई है। मां लक्ष्मी के साथ साथ भगवान कुबेर भी स्थापित हुये है। उन्होंने 22 जनवरी का जिक्र करते हुये कहा कि अब भारत विश्व पहल पर उभर रहा है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक ही नहीं, बल्कि विश्वभर में 22 जनवरी को श्रीराम प्रतिष्ठा महोत्सव पर भगवान राम की गूंज गूज उठी थी।
वहीं इस अवसर पर पूर्व मंत्री व विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि यह समारोह हम सबके लिये पुनीत और प्रेरणादायी है। संतों की रजधूल पड़ने से यह अवसर सोने पर सुहागा और हो गया है। जौरासी सरकार के साथ साथ सबको मां लक्ष्मी व स्वामी का सानिध्य जो मिला है वह सबके लिये सुखद क्षण है। उन्होंने जातक पक्षी का उदाहरण देते हुये कहा कि वह पूरे एक साल में स्वाति नक्षत्र का पानी पीता है। प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर ट्रस्ट के सचिव एडवोकेट प्रेमनारायण भदौरिया ने ट्रस्ट के कार्यों पर प्रकाश डाला। वहीं ट्रस्ट के अध्यक्ष एडवोकेट सुरेश चतुर्वेदी ने स्वागत भाषण देकर अतिथियों का स्वागत किया।
इस अवसर पर महंत गोपाल दुबे, हिन्दुस्तान एक्सप्रेस के प्रधान संपादक चंद्रप्रकाश शिवहरे, भाजपा अध्यक्ष कौशल शर्मा, पूर्व जिला अध्यक्ष वीरेन जैन, नितिन चतुर्वेदी, उमाशरण शर्मा, अशोक भार्गव, विपिन शर्मा, कपिल भार्गव, श्याम पाठक, धीरेन शर्मा, बल्ली दुबे, जगदीश गुप्ता, एसपी भार्गव, कालीचरण शर्मा, रामनिवास, लाल सिंह जादौन, हरिओम यादव, अरविंद शर्मा आदि उपस्थित थे।

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